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हमारे आसपास, जिधर देखो उधर कला है। यह सिर्फ चित्रकारों की कृतियों तक सीमित नहीं है। ‘कला के रूप अनेक’ श्रृंखला के इस अंक में पाठक कलाकार के नज़रिये से आये दिन काम आने वाली चीज़ों को देखेंगे और उनके स्वरूप और आकृतियों को पहचानेंगे। इसके साथ ही अराजक सी तुकबंदी वाली कविताओं की किताबों की इस श्रृंखला से हमें उम्मीद है कि इनसे पाठकों की कल्पना को उड़ान मिलेगी।